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डॉ.लाल रत्नाकर
न जाने कब
आएगा वह दिन
भरेगा पेट .
उद्यमियों का
कारोबार चलेगा
तिकड़म से
यह मत लें
वह मत लें नहीं
उत्पाद कैसे
होगा साथियों
सब्र फैक्ट्रियां भला
कैसे करेंगी
क्योंकि आदमी
को सब्र नहीं होता
जो मशीनें हैं
भला इस दौर में
सब्र इतना
डॉ.लाल रत्नाकर
आदमी और
आदमी की खुशबू
किसको पता
स्वार्थ उनका
और अपनों का भी
मूल्य कितना
मूल्य उनका
लगाओ और और
पुत्र हुआ है
बेटी का जन्म
शोक क्यों न हो जाये
दहेज़ लोभी
जन्म बेटे का
बरदान जैसा है
इस देश में
लड़की न हो
कभी नहीं चाहता
दहेज़ बंदी
आंकड़े कहाँ
एकत्रित करोगे
सही सही ओ
हरियाणा में
कम हैं लड़कियाँ
हैं गर्भ में ही ..
प्रसव को ही
होने नहीं देते हैं
जो चालाक हैं