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सब्र इतना
डॉ.लाल रत्नाकर
न जाने कब
आएगा वह दिन
भरेगा पेट .
उद्यमियों का
कारोबार चलेगा
तिकड़म से
यह मत लें
वह मत लें नहीं
उत्पाद कैसे
होगा साथियों
सब्र फैक्ट्रियां भला
कैसे करेंगी
क्योंकि आदमी
को सब्र नहीं होता
जो मशीनें हैं
भला इस दौर में
सब्र इतना
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