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परिचय
दीर्घा
प्रकाशन
मंगलवार, 10 अप्रैल 2012
अजीब हाल
(मेरे हाइकू सामाजिक सरोकारों पर आधारित हैं)
अजीब हाल
उनका विभाग में
भागे रहते .
डरते नहीं
ऐसा दिखावा तो है
दिखते नहीं.
'भुइहार' हैं
हमेशा हारते हैं
हर बार ही.
कहते तो है
सुधर गए हैं वे
लगता नहीं .
इन्हें जागीर
मिली है मानते हैं
तिकड़म से .
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