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दीर्घा
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बुधवार, 2 दिसंबर 2015
तिकड़म
चलो देखें तो
उसके दफ़्तर में
क्या है वहॉ
तिकड़मों का
इंतज़ाम करके
फँसा रहा हो
कौन है वह
पहचाना उसने
कब तुमको!
तभी तो वहॉ
मुक्कमल तमाशा
ही हो रहा है
फिर भी मानो
ज़हमत ग़ज़ब
की हो गयी है!
@ डॉ लाल रत्नाकर
@ डा लाल रत्नाकर
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