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परिचय
दीर्घा
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रविवार, 13 जून 2021
मानवता का, दुश्मन बनकर, सिंहासन पे !
यह कैसा है
भदेश लिबास में
पहचानो तो !
मौका परस्त
अवसरवादी है
बर्बादी कर !
नाश किया है
मानवीयता और
जन जन का !
दुर्दांत वक़्त
दिन रात दिगंत
व्याकुल सब !
आवाज नहीं
निकली ही ना तब
परिदां कैसा !
मानवता का
दुश्मन बनकर
सिंहासन पे !
डा लाल रत्नाकर
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