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गुरुवार, 13 फ़रवरी 2025
जीत जाऐगा हारकर वह भी मंसूबे कैसे !
जीत जाऐगा
हारकर वह भी
मंसूबे कैसे !
भला उनका
कौन करेगा अब
भीख देकर
हल्ला बोलना
मुनासिब नहीं है
उसके साथ !
कौन रहेगा
कब तक रहेगा
वहां ठहरा !
विनाश होगा
विकास के बहाने
कब तक यूँ !
- डॉ लाल रत्नाकर
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