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दीर्घा
प्रकाशन
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गुरुवार, 29 अप्रैल 2010
आदमी
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तुम्हारी दशा
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डॉ.लाल रत्नाकर नयी दुनिया पुरानी दुनिया से सुरक्षित है कह सकते हो तो कह दो पर इतना सच कह सकने का माद्दा है तुममे तो क...
गुरुवार, 15 अप्रैल 2010
दौलत के अरमां...
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Mera Sapana
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शुक्रवार, 9 अप्रैल 2010
बेईमान की, सूरत देखी आप, दिखता नहीं
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डॉ.लाल रत्नाकर सुन्दर घर मन सुन्दर तो हो मत चुसो खूं खाना खाकर धोखा नहीं करते नमक खाया किसका रक्त चूसा तुमने जब उन सबका गरीब ह...
रविवार, 4 अप्रैल 2010
सर्वोच्च सच
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डॉ.लाल रत्नाकर इंजिनियर जो करता उसमे कितना मिला अफसर है किसके किसके ओ फिर सेवक कौन कहता ख़ुशी में गम नहीं मिला रहता जहाँ रुकता...
सोमवार, 29 मार्च 2010
कफ़न ओढ़,नफ़रत फैलाता,बनता नेता
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डॉ.लाल रत्नाकर स्वाद ख़राब तो होना ही था पर बीमारी नहीं उसकी आँखें उतनी कजरारी तो नहीं होगीं जितना दम पहले रहा होगा ...
1 टिप्पणी:
गुरुवार, 25 मार्च 2010
बूढ़े हुए ये,पर स्वाद जवानी,के है इनके |
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डॉ.लाल रत्नाकर अब कहानी कहने का समय बीत गया है समय बचा तो कहानी गढ़ना सीख रहा हूँ जीवन बिता षडयन्त्रो...
सोमवार, 15 मार्च 2010
इन्सान वही
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डॉ.लाल रत्नाकर मै तेरे गाल का काला तिल जैसा निशान नहीं तेरी नज़रों में भला इन्सान हूँ या नहीं हूँ ये हरकतें तुम्हारी हैवान सी इ...
शुक्रवार, 12 मार्च 2010
यूँ ही ठीक हो
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उनका नहीं दोषी वो है जिनकी मदद की है सजा देने से मुजरिम तरपे सच्चाई नहीं इन्सान बनो बेईमान हो तुम तुम्हारा सच घबराकर किसे डराते...
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