पेज
(यहां ले जाएं ...)
मुखपृष्ठ
परिचय
दीर्घा
प्रकाशन
▼
शुक्रवार, 12 मार्च 2010
यूँ ही ठीक हो
उनका नहीं
दोषी वो है जिनकी
मदद की है
सजा देने से
मुजरिम तरपे
सच्चाई नहीं
इन्सान बनो
बेईमान हो तुम
तुम्हारा सच
घबराकर
किसे डराते, खुद
छुप जाते हो
समय कहाँ
डॉ.लाल रत्नाकर
सच - सच बोलना
भला होने का
भला बनकर
क्या करोगे तुम तो
यूँ ही ठीक हो
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें