अपराधों की गठरी बांधे !
डॉ.लाल रत्नाकर
आज हमारे
और तुम्हारे पास
कौन कौन हैं !
कल जो थे ओ
कहाँ गए उनका

अता पता है !
पता बताना
मुमकिन था
नहीं बताया !
मालूम है क्या
क्या क्या उसको
कौन बताये !
वह तो मूक
बना बैठा है पर
कौन जगाये !
अपराधों की
गठरी बांधे बैठा
बैठक बांधे !
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें