शुक्रवार, 22 जनवरी 2010

हाइकु - डॉ.लाल रत्नाकर

कोहरा छाया
जब शाम हुई थी
मै दिल्ली में था |

सोचा भी नहीं
मुश्किल है चलना
कोहरे में भी |

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