पतनी जैसी : हमारे हाल जानकर करोगे उपहास ही
जानकर करोगे
उपहास ही
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चमन कैसा
जहाँ बियाबान हो
मरघट सा
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वतन ऐसा
जहाँ सम्मान भी हो
अपमान सा
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मित्र कैसा हो
जिसकी पत्नियां हों
पतनी जैसी
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घर भी तो हो
बागबान के समां
शहर में भी
डा लाल रत्नाकर
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