पेज
(यहां ले जाएं ...)
मुखपृष्ठ
परिचय
दीर्घा
प्रकाशन
▼
शुक्रवार, 25 दिसंबर 2015
पतनी जैसी : हमारे हाल जानकर करोगे उपहास ही
›
हमारे हाल जानकर करोगे उपहास ही ************** चमन कैसा जहाँ बियाबान हो मरघट सा ************** वतन ऐसा जहाँ सम्मान भी हो अपमान सा ...
गुरुवार, 3 दिसंबर 2015
फ़ुर्सत
›
इन्हें फुर्सत कहाँ रहती होगी नफासत से। सिरफिरे वे तमाम लोग नहीं लगते होंगे। जितना हम उन्हें कसक देते तने होते हैं । ...
बुधवार, 2 दिसंबर 2015
तिकड़म
›
चलो देखें तो उसके दफ़्तर में क्या है वहॉ तिकड़मों का इंतज़ाम करके फँसा रहा हो कौन है वह पहचाना उसने कब तुमको! तभी ...
काले दिन !
›
ये काले दिन भी बितेंगे आख़िर में कब तक ! जब तक हैं ये सत्ता के सावन मेरे मन में ! नहीं चैन है मन को तब तक याद करोगे ! ...
मंगलवार, 25 नवंबर 2014
दुश्वारियों का आना जाना लगा है
›
दुश्वारियों का आना जाना लगा है करीबियों से ! घरबार या अपनों पारायों से किससे कहूँ ! नाराजियों से बचने में माहिर हमारे साथी ! कभी भी साथ नि...
रविवार, 9 नवंबर 2014
उनके लिए
›
उनका आना खुशियों से भरना घर आँगन श्रृंगार रूपी लताओं की तरह फैलते जाना गुपचुप रहना अपनापन सहना हृदयांगी का समग्र...
गुरुवार, 5 दिसंबर 2013
हमारे हितैषी
›
डॉ.लाल रत्नाकर वे हमारे हैं हितैषी मैं उनके काम आता हूँ आपने क्या ऐसे हितैषी देखे जो चाटते हों नहीं उनका को...
साथ दिखना
›
साथ दिखना और बात है पर साथ होना भी आपका होना और बात है पर न होना साथ उनके साथ कहाँ थे वे गलत अपने साथ ...
मंगलवार, 10 अप्रैल 2012
अजीब हाल
›
(मेरे हाइकू सामाजिक सरोकारों पर आधारित हैं) अजीब हाल उ...
1 टिप्पणी:
शनिवार, 25 जून 2011
सब्र इतना
›
डॉ.लाल रत्नाकर न जाने कब आएगा वह दिन भरेगा पेट . उद्यमियों का कारोबार चलेगा तिकड़म से यह मत लें वह मत ...
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें