सफ़र में था
कई तरह के साथ
मिला था रात।
वह परायी
बहुत करीब थी
अपनों से भी।
ऐसे लोग हैं
जो सपने में होते
वह कहां है।
यही धरा पे
बेचते सपनों को
राजा बनके।
- डॉ लाल रत्नाकर
डॉ लाल रत्नाकर
जागेगा कब
कुर्मी समाज अब
दारोमदार!
मंडल का है
कमंडल का भी है
परिवर्तन।
जमीन नहीं
जमीर का सवाल
सामने अब।
समाजहित
भाड़ में चला जाए
सत्ता के लिए।
डॉ.लाल रत्नाकर