शनिवार, 15 मार्च 2025

सपना देखा


सपना देखा 
आज रात में मैंने 
नहीं भरोसा 

सफ़र में था
कई तरह के साथ 
मिला था रात।

वह परायी 
बहुत करीब थी
अपनों से भी।

ऐसे लोग हैं 
जो सपने में होते
वह कहां है।

यही धरा पे
बेचते सपनों को
राजा बनके।

डॉ लाल रत्नाकर 

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