मंगलवार, 16 नवंबर 2010

कौन साहब

डॉ.लाल रत्नाकर


यह आदमी                                                                                        
आदमी जैसा नहीं
साहब होगा.


इसका हाल
बदहाल नहीं तो
बेहूदा जैसा .


नहीं नहीं है
यह बदमाश सा
कोई साहब.


कौन साहब
ऐसा साहब तेरा
नहीं सबका.


कैसे किसका                                                                          
नहीं  भ्रष्टाचारी है
ये अपराधी .


कैसे किसका
साहब है यह बे
बेहूदा साब


प्रिंसिपल सा
प्रिंसिपल साहब
जी यही साब .

  

रविवार, 10 अक्टूबर 2010

उत्साह की उम्मीद

डॉ.लाल रत्नाकर

ये देश मेरा 
उनका या सबका 
मुर्दे का नहीं.          


जरुरत है 
अधिकारों को जानो 
हड़पो मत .


हड़पने की 
आदत ने किया है 
सत्यानाश ही.


पर जाहिल 
को जहालियत से                 
बचाए कौन.


निराशा से न 
बनती  है हमारी
सेहत कभी .


सेहत बनी 
उत्साह की उम्मीद
के ही चलते .
-----------------
इस तरह सताया है, परेशान किया है
गोया कि मुहब्बत नहीं एहसान किया है .
- अफजल फिरदौस

----------------
हमको तो गर्दिश-ए-हालात पे रोना आया 
रोने वाले तुझे किस बात पे रोना आया 
- सैफुद्दीन सैफ

  

रविवार, 3 अक्टूबर 2010

कामनवेल्थ .

डॉ.लाल रत्नाकर

सुबह ५ पै
टीवी खोला चैनल 
आस्था लगाया .

बाबा जी बोल 
रहे थे खेलों पर 
कामनवेल्थ .

गुलाम देश 
खेलेंगे खेल कैसा 
रानी की लूट.

जिमने और 
जीभर जिमाने की 
७० हज़ार .

कारोनों लूटो 
महारानी के गाओ
गीत खेल में .

गुलाम बनो 
लूटो देश और वो 
दौलत जिसे .

शिक्षा बढ़ाते 
विश्वविद्यालय में 
लगाते पर .


कलमाड़ी के 
कारनामें महान 
देश वासियों .

देश वासियों 
करो गुमान वह
रानी नहीं है .

महारानी की 
तरह देश पर 
वह काबिज .

राष्ट्रभक्तों की 
कहानी समझ से 
बहुत दूर .

ई अनहोनी 
घटना होगी यदि 
खेल खेल में .

मंगलवार, 14 सितंबर 2010

जब इमान नहीं होता

डॉ.लाल रत्नाक

जो साथ नहीं 
वो घात लगाते है,
इन्सान बनाते.

या बेईमान
बनाते है जो भी हो,
जब इमान

नहीं होता है  
इन्सान नहीं होता
बेईमान है .
चित्र-डॉ.लाल रत्नाकर ,संग्रह -सी.सी.एम्.बी.हैदराबाद |

बुधवार, 8 सितंबर 2010

जो हाथ नहीं देते संकट में

डॉ.लाल रत्नाकर

साथी निभाने 
तो पड़ते है साथ 
बेईमानों के .


साथी दिखाने
तो पड़ते है हाथ 
बेईमानों को .


साथी साथ  न 
हो उनके जो साथ 
नहीं देते है .


जो हाथ नहीं 
देते संकट में ओ 
दुश्मन होंगे.

शनिवार, 28 अगस्त 2010

पहले वाली

डॉ.लाल रत्नाकर
----------------------------


उखाड़ने की 
पूरी कोशिश कर 
कुछ तो होगा 


नहीं अब मै 
इतना आगे बढ़ 
नहीं लौटूंगा .


लौटने की ही 
जरूरत हुई तो 
लौटूंगा पर .


गाँव नहीं मै 
ससुराल लौटूंगा
पहले वाली . 

गुरुवार, 1 जुलाई 2010

मुझे लेना है हिसाब तुमसे भी

डॉ.लाल रत्नाकर 

गर्मी की आड़ 
बरसती है आग 
पियास नहीं .


लगता हर 
रोज रोज बाज़ार 
बिकता कौन .


इज्जत तेरी 
बाज़ार में उछाला 
अखबारों ने .


मुझे लेना है 
हिसाब तुमसे भी 
मेरे मूल्य का .


दाम  तुम्हारा 
वह दे दिया होगा 
लागत दे दो. 


नहीं दोगे यूँ 
क्योंकि जिन्हें आदत 
है जूतों की ही .


काश जूते से 
सबक लिया होता 
कितना मारें .


अब लगता 
है संसद लायक 
ट्रेंड हो गया . 

शुक्रवार, 4 जून 2010

आदमी रूप में विषधर ..................

डॉ.लाल रत्नाकर  


हज़ार लम्हे,
तुम्हे मुबारक हो,
हमारे साथी .

तुम्हारी यादें ,
हमारे दुःख की है,
आधारशिला .


तुम्हारा छल,
और बल है उस,
हरामी का ही .


जिसको मैंने ,
दूध पिलाया तब,
विष निकला .


आदमी रूप .
में विषधर वह,
विश्वास कहाँ .


तपती हुयी,
गरमी में उसने,
आग लगायी .