शनिवार, 15 फ़रवरी 2025

प्रेम संगत मंगल सुसंगत क्षोभ उनका।


 प्रेम संगत 
मंगल सुसंगत 
क्षोभ उनका।

हृदय तल 
सुकोमल प्रवास 
एहसास हो। 

अन्यथा दोष 
मढ़ना आसान है 
अभिमान है।
 
अज्ञानता से
प्रबल तन मन 
उपवन हो।

चितवन तो 
सौंदर्य से परे है 
मुख उनका।

-डॉ लाल रत्नाक


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