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दीर्घा
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रविवार, 24 अगस्त 2025
अभिमान ना सम्मान बहुत हो इंसान वही ।
अभिमान ना
सम्मान बहुत हो
इंसान वही ।
जग ख़ाली है
समय बवाली है
अज्ञान पूर्ण ।
वह विगत
वर्तमान जिनका
महान सदा ।
संस्कार मिला
सम्पदा असली है
बाक़ी नकली ।
आशीर्वाद है
जिनका सानिध्य ही
पहचान हो !
डा.लाल रत्नाकर
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