सोमवार, 25 अगस्त 2025

न समय हैं और न ही विषय बातचीत का !


 न समय हैं
और न ही विषय 
बातचीत का  !

अपने ही हैं
इतने सारे सपने 
तारे तोड़ना !

नहीं जोड़ना 
अब किसी गॉठ को 
पड़ी है कैसे ?

नहीं सोचना
पतन पुराण पर
इस युग में !

हठधर्मी हूँ 
गठबंधन मेरा
पाखंडी से है !

डॉ लाल रत्नाकर

रविवार, 24 अगस्त 2025

तुम कौन हो मेरा नाम बताओ काटा ही क्यों है ।


तुम कौन हो 
मेरा नाम बताओ 
काटा ही क्यों है ।

झूठे मक्कार
कायर तड़ीपार 
तुम कौन हो !

बाबा साहब 
जानते थे चरित्र 
तुम्हारा कुल !

इसलिए ही
लिखा है संविधान 
नहीं मानते ?

मनुवादियों
दिल पर पत्थर 
रख मानो न !

डॉ लाल रत्नाकर

गधे नहीं है घोड़े हैं दिखते हैं गधे समान !

 


गधे नहीं है 
घोड़े हैं दिखते हैं 
गधे समान !

तस्वीर शौक 
नक़ली सूरत है 
समझदार !

दुनिया भर
में घूमा हुआ हूँ मैं 
चोरी करके ।

वोट की नहीं
नोट की भी कितनी 
गिनती नहीं !

भ्रम उनका
श्रम मेरा कितना 
किसको पता ?

डॉ लाल रत्नाकर

अभिमान ना सम्मान बहुत हो इंसान वही ।


अभिमान ना
सम्मान बहुत हो
इंसान वही ।

जग ख़ाली है
समय बवाली है
अज्ञान पूर्ण ।

वह विगत 
वर्तमान जिनका
महान सदा ।

संस्कार मिला
सम्पदा असली है
बाक़ी नकली ।

आशीर्वाद है 
जिनका सानिध्य  ही
पहचान हो !

डा.लाल रत्नाकर

शनिवार, 23 अगस्त 2025

मुझे कहना चोर मत कहना तड़ीपार हूँ।


(1)
मुझे कहना 
चोर मत कहना  
तड़ीपार हूँ। 
(2)
संसद में ही 
तड़ीपार बोलना 
वाजिब कैसे !
(3)
नहीं बोलना 
सच को सच अब 
झूठे हैं यहाँ !
(4)
किस ब्रांड की 
वाशिंग मशीन है 
बीजेपी घर !
(5)
जो धो देती है 
भ्रष्टाचार के पाप 
अंदर आते !

-डॉ लाल रत्नाकर

मन महके जग जड़ता भूत आलिंगन से ।



मन महके
जग जड़ता भूत
आलिंगन से ।

परिभाषित
करते अनुचित
विचार अब।

कारागार में
जन्मदिन मनाने
कौन गया था।

किसके साथ
दुनिया चली आई
दर्शनार्थियों!

शातिर लोग
बहुत सी चालाकी
बरतते हैं !

डॉ लाल रत्नाकर

बुधवार, 6 अगस्त 2025

वक़्त के संग रंग बदल रहा जिन जिन का!

 मुझे लगता है कि जिन लोगों ने या जिसने इस विधा का आविष्कार किया होगा वह बहुत ही तार्किक और प्रासंगिक रहा होगा और उसके समय में भी बहुत-बहुत भयावह परिस्थितियां रही होगी कम शब्दों के माध्यम से गंभीर बात कह देना आमतौर पर जो बड़े-बड़े भाषणों से संभव नहीं होता। 

वह विधा है हाईकू गौर फरमाइए-


वक़्त के संग
रंग बदल रहा 
जिन जिन का!

चेतावनी दी
विदक गया वह
नफरती जो।

कौन लाया है 
पता चल गया ना 
कारण है जो।

आम आदमी 
हिम्मत ना करेगा 
बगावत का!

खास आदमी 
वाहियात तकाजा 
झेल रहा हो !

-डॉ लाल रत्नाकर