बुधवार, 6 अगस्त 2025

वक़्त के संग रंग बदल रहा जिन जिन का!

 मुझे लगता है कि जिन लोगों ने या जिसने इस विधा का आविष्कार किया होगा वह बहुत ही तार्किक और प्रासंगिक रहा होगा और उसके समय में भी बहुत-बहुत भयावह परिस्थितियां रही होगी कम शब्दों के माध्यम से गंभीर बात कह देना आमतौर पर जो बड़े-बड़े भाषणों से संभव नहीं होता। 

वह विधा है हाईकू गौर फरमाइए-


वक़्त के संग
रंग बदल रहा 
जिन जिन का!

चेतावनी दी
विदक गया वह
नफरती जो।

कौन लाया है 
पता चल गया ना 
कारण है जो।

आम आदमी 
हिम्मत ना करेगा 
बगावत का!

खास आदमी 
वाहियात तकाजा 
झेल रहा हो !

-डॉ लाल रत्नाकर

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