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दीर्घा
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सोमवार, 25 अगस्त 2025
न समय हैं और न ही विषय बातचीत का !
न समय हैं
और न ही विषय
बातचीत का !
अपने ही हैं
इतने सारे सपने
तारे तोड़ना !
नहीं जोड़ना
अब किसी गॉठ को
पड़ी है कैसे ?
नहीं सोचना
पतन पुराण पर
इस युग में !
हठधर्मी हूँ
गठबंधन मेरा
पाखंडी से है !
डॉ लाल रत्नाकर
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