शुक्रवार, 27 सितंबर 2019

सही चुनाव अगर हुआ होता




चलो माना कि
तुम्हें  हमने चुना
किसके लिए।

तुमने हद
पार कर दी क्यों
उसके लिए।

सही चुनाव
अगर हुआ होता
तो कैसे आते।

गलत हुआ
यह कौन जानता
तेरी योजना।

उपाय तेरा
होगा ही हटाने का
तुम्हारे पास।

डॉ.लाल रत्नाकर

शुक्रवार, 25 दिसंबर 2015

पतनी जैसी : हमारे हाल जानकर करोगे उपहास ही

हमारे हाल 
जानकर करोगे 
उपहास ही 
**************
चमन कैसा 
जहाँ बियाबान हो 
मरघट सा 
**************
वतन ऐसा  
जहाँ सम्मान भी हो 
अपमान सा 
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मित्र कैसा हो 
जिसकी पत्नियां हों 
पतनी जैसी 
**************
घर भी तो हो 
बागबान के समां 
शहर में भी 

डा लाल रत्नाकर



गुरुवार, 3 दिसंबर 2015

फ़ुर्सत

इन्हें फुर्सत
कहाँ रहती होगी
नफासत से।

सिरफिरे वे
तमाम लोग नहीं
लगते होंगे।

जितना हम
उन्हें कसक देते
तने होते हैं ।

नसीहत के
काबिल कहाँ है वे
उदारमना ।

तलब हमें
उनकी लगती तो
कहाँ खोजते ।


@ डॉ.लाल रत्नाकर


बुधवार, 2 दिसंबर 2015

तिकड़म

चलो देखें तो
उसके दफ़्तर में
क्या है वहॉ

तिकड़मों का
इंतज़ाम करके
फँसा रहा हो

कौन है वह
पहचाना उसने
कब तुमको!

तभी तो वहॉ
मुक्कमल तमाशा
ही हो रहा है

फिर भी मानो
ज़हमत ग़ज़ब
की हो गयी है!

@ डॉ लाल रत्नाकर 

@ डा लाल रत्नाकर

काले दिन !

ये काले दिन
भी बितेंगे आख़िर
में कब तक !

जब तक हैं
ये सत्ता के सावन
मेरे मन में !

नहीं चैन है
मन को तब तक
याद करोगे !

भूल गये है
भाव हमारे मन
उपवन में !

धन दौलत
सब यहीं रहेगी
जड़ता मन !

@ डा लाल रत्नाकर

मंगलवार, 25 नवंबर 2014

दुश्वारियों का आना जाना लगा है

दुश्वारियों का
आना जाना लगा है
करीबियों से !

घरबार या
अपनों पारायों से
किससे कहूँ !

नाराजियों से
बचने में माहिर
हमारे साथी !

कभी भी साथ
निभाते तो भी सही
अपनों से ही !

मखौल नहीं
सच्चाइयाँ ही होंगी
उनकी सही !

@ डा लाल रत्नाकर


रविवार, 9 नवंबर 2014

उनके लिए


उनका आना

खुशियों से भरना
घर आँगन

श्रृंगार रूपी
लताओं की तरह
फैलते जाना

गुपचुप रहना
अपनापन सहना
हृदयांगी का

समग्रता की
चाहना को रखना
उनका गुण

इसे कहते
अपनापन मेरा
उनके लिए 

@ डा लाल रत्नाकर

गुरुवार, 5 दिसंबर 2013

हमारे हितैषी

डॉ.लाल रत्नाकर

वे हमारे हैं 
हितैषी मैं उनके 
काम आता हूँ 


आपने क्या 

ऐसे हितैषी देखे 
जो चाटते हों 


नहीं उनका 

कोई दोष नहीं है 
होश नहीं है 


अब तक तो 

सब ठीक लेकिन 
आगे क्या है 






साथ दिखना

साथ दिखना 
और बात है पर
साथ होना भी 



आपका होना 

और बात है पर 
न होना साथ 




उनके साथ 

कहाँ थे वे गलत 
अपने साथ 



उन सबने 

सब कुछ जितना 
उतना नहीं 



@ डा लाल रत्नाकर