पेज
मुखपृष्ठ
परिचय
दीर्घा
प्रकाशन
बुधवार, 23 जुलाई 2025
बुरे दौर में, झूठ बोलने वाले, कौन कौन हैं?
बुरे दौर में
झूठ बोलने वाले
कौन कौन हैं?
कुछ लोगों ने
किया होगा बिलाप
कौन है वह?
पहचान के
कोई प्रतिमान है
संविधान में?
मनुस्मृति में
तो लिखा है बहुत
अमानवीय !
कौन पढ़ेगा
यह किसने रचा
किसके लिए?
- डॉ लाल रत्नाकर
सोमवार, 21 जुलाई 2025
गगन धरा रह गया है यहां सब विनशा।
गगन धरा
रह गया है यहां
सब विनशा।
काल लाल हो
जंग किससे तेरी
तय हो चुका!
अब हमारे
तुम्हारे लिए कुछ
जरूरी नहीं।
यह मुकाम
पा लिया है उसने
मुश्किल तेरा।
-डॉ लाल रत्नाकर
शनिवार, 19 जुलाई 2025
तेरे राज्य में
तेरे राज्य में
कौन सुरक्षित है
बताओ जरा !
तुम्हारे साथी
जो जो अपराधी हैं
उनके सिवा !
बहुत सारे
अपराधी बैठे हैं
तुम्हारे यहाँ !
कल तक तो
तुम्हारे बयानों में
जो जो आते थे !
वह लुटेरे
जिन्हें तुम पाले हो
सरकारों में !
-डॉ लाल रत्नाकर
बुधवार, 25 जून 2025
कौन कहता इतना खुलकर मुंह पर यूं।
कौन कहता
इतना खुलकर
मुंह पर यूं।
समझने में
देर नहीं की होगी
तो उसने भी।
यही तो फर्क
महसूस होता है
उनमें तभी।
आमतौर पे
आदमी आदमी भी
रह गया क्या।
समझ आता
इतनी रहबरी
तो कैसे होती।
डॉ लाल रत्नाकर
बुधवार, 18 जून 2025
सबका साथ उनका विनाश है जो जो साथ हैं !
सबका साथ
उनका विनाश है
जो जो साथ हैं !
यदि वह हैं
दलित पिछड़े या
अल्पसंख्यक !
किसका साथ
पूंजीपतियों का या
आमआदमी !
आत्मनिर्भर
नाली की गैस जला
चाय बेचते !
प्रतीक कैसा
अंधविश्वास का या
चमत्कार का !
-रत्नाकर
जज साहब सुनो बोल रहे हैं सच या झूठ !
जज साहब
सुनो बोल रहे हैं
सच या झूठ !
मामला घूस
अन्याय या न्याय का
किसको पता !
आज कल का
अजीबो गरीब है
हाल या चाल !
वकीलों बता
ये न्याय का व्यापार
अब कैसा है !
तब कैसा था
न्याय की उम्मीद
आमजन को !
-रत्नाकर
सोमवार, 16 जून 2025
वह लड़की साहसी और तेज़ समझदार !
वह लड़की
साहसी और तेज़
समझदार !
अभी वह है
उधेड़बुन फसी
भविष्य कहाँ !
ढूढ़ रही है
उज्जवल भविष्य
प्रगति मार्ग !
लेकिन कहाँ
सहज है भविष्य
इस समय !
जातिवाद का
वर्ण वर्ग धर्म का
हथियार हो !
- डॉ लाल रत्नाकर
रविवार, 15 जून 2025
दुनिया भर अपमान सहना आसान नहीं।
दुनिया भर
अपमान सहना
आसान नहीं।
क्या लाया लाला
किसका सिंदूर यहां
विधवाओं को।
तुम्हें बताएं
तेरा सच सच है
कौन बताए।
तुमने रचा
हत्या कर कराके
चुनाव हेतु।
अभियान से
तो एसा ही लगता
सबने जाना।
- डॉ लाल रत्नाकर
समय साथ आस पास जिसके गुजारता हो।
समय साथ
आस पास जिसके
गुजारता हो।
वह करीब
कितना गरीब है
पता चलता।
नसीब मेरा
करीब उसके था
यदि जानता।
समय मिला
तब कर गुजरा
काम तमाम।
बहुत दूर
निकल जाना जब
करीब आना।
-रत्नाकर
शनिवार, 14 जून 2025
समय बोल सच सच के बोल निडर बन।
समय बोल
सच सच के बोल
निडर बन।
खड़ा रहता
सूखा हुआ वृक्ष भी
आंधियों तक।
डगमग में
हंसी होगी जग में
संभलकर।
उड़ाना मत
अपनी ताकत को
चमत्कार में।
अंधविश्वास
पाखंड मत कर
डरकर भी।
-डॉ लाल रत्नाकर
नई पोस्ट
पुराने पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
संदेश (Atom)