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दीर्घा
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गुरुवार, 8 मई 2025
अब हो गया। आंखें फोड़कर जो समाज अंधा।
अब हो गया
आंखें फोड़कर जो
समाज अंधा।
वो कल तक
निगहबां होता था
हिफाजत का।
क्रूर ठगों ने
घेरकर हौसला
जिसका तोड़ा।
भरोसा किया
जिसका धोखाधड़ी
कर के ठगा।
सच या सत्य
जीत कर ठगी से
कहां जीता है ।
- डॉ लाल रत्नाकर
बुधवार, 7 मई 2025
बंद कराओ अपराध यहाँ पे कुछ कहना !
बंद कराओ
अपराध यहाँ पे
कुछ कहना !
चुप रहना
जब आज यहाँ पे
सच कहना !
अपराध यहाँ
तब वह सब है
भाये उसको !
मौत जंग की
पहली ही शर्त है
जीत सको तो !
हार हार है
देश की सुरक्षा में
हारता कौन !
-रत्नाकर
हमला कर क्या यह मैसेज है जनमत का।
हमला कर
क्या यह मैसेज है
जनमत का।
जनमत को
सहमत करना
चाल रही है।
हत्या करना
नहीं भरोसा अब
सत्ताधीशों का।
आम आदमी
खुश हो ही जाएगा
देशभक्ति पे।
नहीं पता है
हत्या किसकी होगी
चाल रही है।
-रत्नाकर
सोमवार, 5 मई 2025
फूले महात्मा ऐसे ही नहीं हुए सत्य के साथ।
फूले महात्मा
ऐसे ही नहीं हुए
सत्य के साथ।
आज जरूरी
उतनी ही उनकी
विचारधारा!
नफरत के
इस दौर में वह
जरूरत है।
पाखंड और
अंधविश्वास हमें
हमारी पीढ़ी!
सत्य शोधक
बचा लेगा भीड़ को
भाग रही जो।
डॉ लाल रत्नाकर
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