मंगलवार, 27 मई 2025

शुद्ध सिंदूर

 


सिंदूर शुद्ध 
अशुद्ध विचार था
रक्त सिंदूर।

जगह नहीं 
बची कहीं इज्जत  
है क्या अपनी।

ऐसा कहना
कितना है जायज 
इस दौर में।

यह मुद्दा है
कितना जायज या
नाजायज तो।

अब करना 
बकवास विषय 
निकल गया।

-डॉ लाल रत्नाकर
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