मंगलवार, 8 अप्रैल 2025
गुंडा युक्त है सत्ता दल महल विपक्षी दल ।
गुंडा युक्त है
सत्ता दल महल
विपक्षी दल ।
सत्ता दल महल
विपक्षी दल ।
बना रहा है
वह रेत महल
किसके लिए।
कर विचार
आज ही समाज की
गति क्या है?
दोगला रूप
राजा का जहां जहां
समाज कैसा।
देख जरा तू
वर्तमान का रूप
कैसी है धूप।
डॉ लाल रत्नाकर
आम आदमी आदमी से अलग खास कैसे हो।
आम आदमी
आदमी से अलग
खास कैसे हो।
आदमी से अलग
खास कैसे हो।
कोई उपाय
हो तो बताइए जरा
सुलभ हो तो।
नहीं जानता
किस खास आदमी
की तलाश है।
जो दगाबाज
निकम्मा उचक्का हो
मिला दीजिए।
खुश होएगा
अपने जैसा पाकर
वह इंसान।
डॉ लाल रत्नाकर
रविवार, 6 अप्रैल 2025
तेरी नियत पता तो है सबको कितनी साफ़ !
अब तक है
सबकी नज़रों में
जग जाहिर !
कहते हो क्या
करते रहो हो क्या
सब जानते !
किसको बना
बेवकूफ रहे हो
हम सबको !
सब पता है
तुम्हारी नियत से
हमारे हाल !
- डॉ लाल रत्नाकर
शनिवार, 5 अप्रैल 2025
धर्म हमारा तुम्हारे बाप का है बाप से पूछो
धर्म हमारा
तुम्हारे बाप का है
बाप से पूछो !
तुम्हारे बाप का है
बाप से पूछो !
जाती हमारी
हमारे बाप की है
तुम्हारा बाप !
श्रम हमारा
तुम्हारा कैसे क्या है
हड़पा हुआ !
हमारा हिस्सा
तुम्हारा कैसे होगा
क्या बताओगे !
क्या छुपाओगे
कभी तो निकलेगा
हक़ हमारा !
डॉ लाल रत्नाकर
गुरुवार, 3 अप्रैल 2025
वह सुबह कब आएगी बता पता उसका।
वह सुबह
कब आएगी बता
पता उसका।
जब अमन
पहुंचेगा बस्ती में
भारतीयों के।
हर जाति के
हर धर्म के घर
सत्य संदेश।
बताये कौन
बुरी खबर वह
कब लाएगा।
काली रात की
सियाह तसबीर
हटा पाएगा !
-डॉ लाल रत्नाकर
"आमतौर पर आज की व्यवस्था में जिस तरह के लोग आ गए हैं वह निश्चित रूप से हमेशा स्वभाव से गुंडा आचरण रखने वाले लोग हैं। उनसे आप किस तरह के आचरण की उम्मीद करते हैं यह विचारणीय है।
व्यवस्था के मामले में जिस तरह के लोग आगे आए हैं वह निश्चित रूप से अव्यवस्थित लोग हैं।
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सोमवार, 31 मार्च 2025
सीबीआई है, ईडी और आईटी, लेकर आई।
अफसर हैं
क्या भाजपा ले आई
देखें जनता।
इण्डिया संघ
गठबंधन लेकर
लड़ना होगा।
किससे वह
खड़ा रहेगा वह
अबकी बार।
किसकी पारी
कितनी भारतीय
या है धार्मिक।
-डॉ लाल रत्नाकर
रविवार, 23 मार्च 2025
शहीदी यादें मुश्किल हो जाती हैं दुश्मन घुसा।
प्रेरणादायी
जिनका जीवन है
हमारे लिए।
याद उनकी
मत दिला कभी भी
ठगी उसकी।
नहीं समझा
गौरव खोता गया
अहंकार में।
भक्त हैं यहां
कर रहे हैं वह
शंखनाद ही।
(2)
वर्तमान में
निवर्तमान वह
मौके मौके पे।
तन की बात
किसकी करता है
रोज रोज ही।
धर पकड़
करता कराता है
सच कहता।
जो नहीं भाता
जब साथ आ जाता
खूब भाता है।
अयोग्यता पे
खूब हंसता वह
अपनी छोड़।
डॉ लाल रत्नाकर
प्रगति का हो प्रतिमान उनका मनोरंजन।
व्यक्ति कितना
ही भला हो सकता
पहले जान।
भगवान भी
मिल जाए तुमको
यदि कहीं पे।
लो परीक्षण
संतवत संज्ञान
जान उनका।
मनका ना हो
विचलन कहीं से
सच जान लो।
-डॉ लाल रत्नाकर
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