प्रेरणादायी
जिनका जीवन है
हमारे लिए।
याद उनकी
मत दिला कभी भी
ठगी उसकी।
नहीं समझा
गौरव खोता गया
अहंकार में।
भक्त हैं यहां
कर रहे हैं वह
शंखनाद ही।
(2)
वर्तमान में
निवर्तमान वह
मौके मौके पे।
तन की बात
किसकी करता है
रोज रोज ही।
धर पकड़
करता कराता है
सच कहता।
जो नहीं भाता
जब साथ आ जाता
खूब भाता है।
अयोग्यता पे
खूब हंसता वह
अपनी छोड़।
डॉ लाल रत्नाकर
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