ये देश मेरा
सपनों से प्यारा है
देश अपना।
हिंदू मुस्लिम
सिख इसाई बौद्ध
है भाई भाई।
पाखंडियों की
धूर्त फौज कहां से
मन को भाई।
तू चली कहां
अपने यार गली
खुशी से चली।
छोड़ यहां का
भरम भाव सब
अपना मन।
-डॉ लाल रत्नाकर
2.
संविधान को
धता बताकर वो
मनुवाद से।
देश चलाता
जुमले भी सुनाता
बहकाता है।
बाबा साहब
इनको जानते थे
तभी उन्होंने।
संविधान में
दी है व्यवस्था सारी
चालाकी पर।
नहीं मानती
बहुजन जनता
संविधान को।
-डॉ लाल रत्नाकर
3.
प्रगति का हो
प्रतिमान उनका
मनोरंजन।
व्यक्ति कितना
ही भला हो सकता
पहले जान।
भगवान भी
मिल जाए तुमको
यदि कहीं पे।
लो परीक्षण
संतवत संज्ञान
जान उनका।
मनका ना हो
विचलन कहीं से
सच जान लो।
-डॉ लाल रत्नाकर
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