सोमवार, 10 फ़रवरी 2025

सामंजस्य कितना कठिन है

 


सामंजस्य 
कितना कठिन है 
आपस में ही !

नाटक और 
करना और बात 
जीवन तक 

राजेश अब 
हमारे बीच नहीं 
गुजर गया !

कल कब है 
आने वाला उसका 
अभी तना है !

पल पल है 
मुश्किल जिनका भी 
जीवन पल !

निर्माण नहीं 
तांडव तेरा मेरा 
कब तक है !

विचार किया 
आचार तुम्हारा है 
कैसा अपना !

चल भूलता 
प्रतिपल अपना 
अवगुण भी !

कब तक है 
अभिमान तुम्हारा 
कब जागोगे !

सो जा तू अब 
बहुत कर लिया 
नाच नंग की !

गोबर खाता 
जा गाय सूअर का 
लड़ता रह !

धर्म तुम्हारा 
नहीं सभी के लिए  
धर्म हमारा !

-डॉ. लाल रत्नाकर

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