गुरुवार, 13 फ़रवरी 2025

क्या वह गया भयभीत होकर डर गया है।



क्या वह गया
भयभीत होकर
डर गया है।

या व्यापार का
व्यभिचार उनका
खींच ले जाना।

मुमकिन है 
मसले और भी हो 
मन उनका।

चंचल तो हैं
अंकुश उनपर
कौन लगाए?

गरिमा वह
जो भी बनी हुई है 
कौन बचाए। 

मन मस्तिष्क 
सब घिरा हुआ है 
भीतर तक। 

खुलकर तो
वह नहीं बोलता
बीच हमारे !

डॉ. लाल रत्नाकर

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