रविवार, 9 फ़रवरी 2025

जाना सबको इस जहाँ से वहां पास उनके !




प्रकृति पर 
निर्भरता कितनी 
जीवन तक 

मृत्यु की उम्र 
निश्चित नहीं होती 
यह जान लो !

जाना सबको 
इस जहाँ से वहां 
पास उनके !

निराशा क्यों 
किसके लिए अब 
जो लूट गया !

सब कुछ तो 
हमारे इर्द गिर्द 
ठहरा हुआ !

- डॉ लाल रत्नाकर 

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