शनिवार, 1 मार्च 2025

जिंदगी और जिंदगी दरमियां हिसाब कहां।

 



जिंदगी और 
जिंदगी दरमियां 
हिसाब कहां। 

ग़म जहां में
कम कहां कहां है 
अपने मध्य।

इंतजार है
कितनी अराजक 
परिस्थितियां।

सामाजिक है
सरोकार उनके।
असाधारण।

नहीं जवाब 
हिसाब किताब में 
उनका आज।

जिंदगी और 
जिंदगी दरमियां 
हिसाब कहां। 

                                       -डॉ.लाल रत्नाकर

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