शनिवार, 1 मार्च 2025

असहज हो तो सहज हो जाओ समय कहे।



असहज हो
तो सहज हो जाओ 
समय कहे। 

सहज और 
असहज के मध्य 
फर्क करना। 

आसान नहीं 
है फैसला करना 
इस समय। 

किस समय 
की बात करते हैं 
कुटिल कहां! 

विश्वास कहां 
आज के माहौल में 
बताओ जरा! 

                                                           - डॉ लाल रत्नाकर

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें