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परिचय
दीर्घा
प्रकाशन
शनिवार, 14 जून 2025
कोई भक्त हो समझ में आता है धूर्त नहीं हो।
कोई भक्त हो
समझ में आता है
धूर्त नहीं हो।
संभव नहीं
असंभव काम है
उसको नहीं।
जोड़ गांठ भी
कर सकता वह
अपने हित ।
दुनिया भर
अपयश गठरी
ढोता जाता है।
कभी किसी को
चोर उचक्का बोले
सोने से तोले।
-रत्नाकर
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