मंगलवार, 27 मई 2025

तुम्हें भी पकड़ेंगे

 




उन्हें पकड़ा 
तुम्हें भी पकड़ेंगे 
इंतजार है।

समय कैसा 
अंधाधुंध अंधेरा
नजर आया। 

जिन्हें नजारे 
दिखाई दे रहे हैं 
बरबादी में।

जनगणना 
अनुपात उसका 
किसको पता।

गिनती होगी 
क्या ईमानदारी से 
बताओ जरा!
 

-डा.लाल रत्नाकर
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शुद्ध सिंदूर

 


सिंदूर शुद्ध 
अशुद्ध विचार था
रक्त सिंदूर।

जगह नहीं 
बची कहीं इज्जत  
है क्या अपनी।

ऐसा कहना
कितना है जायज 
इस दौर में।

यह मुद्दा है
कितना जायज या
नाजायज तो।

अब करना 
बकवास विषय 
निकल गया।

-डॉ लाल रत्नाकर
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गुरुवार, 8 मई 2025

अब हो गया। आंखें फोड़कर जो समाज अंधा।



अब हो गया
आंखें फोड़कर जो
समाज अंधा।

वो कल तक 
निगहबां होता था
हिफाजत का।

क्रूर ठगों ने
घेरकर हौसला 
जिसका तोड़ा।

भरोसा किया 
जिसका धोखाधड़ी 
कर के ठगा।

सच या सत्य 
जीत कर ठगी से
कहां जीता है ।

- डॉ लाल रत्नाकर

बुधवार, 7 मई 2025

बंद कराओ अपराध यहाँ पे कुछ कहना !


बंद कराओ  
अपराध यहाँ पे 
कुछ कहना !

चुप रहना 
जब आज यहाँ पे 
सच कहना !

अपराध यहाँ 
तब वह सब है
भाये उसको  !

मौत जंग की 
पहली ही शर्त है 
जीत सको तो !

हार हार है 
देश की सुरक्षा में 
हारता कौन !

-रत्नाकर 

हमला कर क्या यह मैसेज है जनमत का।


हमला कर 
क्या यह मैसेज है 
जनमत का।

जनमत को
सहमत करना
चाल रही है।

हत्या करना
नहीं भरोसा अब
सत्ताधीशों का।

आम आदमी 
खुश हो ही जाएगा
देशभक्ति पे।

नहीं पता है 
हत्या किसकी होगी 
चाल रही है। 

-रत्नाकर 

सोमवार, 5 मई 2025

फूले महात्मा ऐसे ही नहीं हुए सत्य के साथ।


फूले महात्मा 
ऐसे ही नहीं हुए
सत्य के साथ।

आज जरूरी
उतनी ही उनकी
विचारधारा!

नफरत के
इस दौर में वह
जरूरत है।

पाखंड और 
अंधविश्वास हमें 
हमारी पीढ़ी!

सत्य शोधक 
बचा लेगा भीड़  को
भाग रही जो।

डॉ लाल रत्नाकर


गुरुवार, 24 अप्रैल 2025

दंगा कराना नफ़रत भरना जिसका काम !

दंगा कराना
नफ़रत भरना 
जिसका काम !

करता राम 
काटता जेब धर्म 
बता कर जो !

अधर्म यंत्र 
ही है जीवन मंत्र 
हजारो साल !

खाता है मुफ्त 
भूखों भक्तों से सदा 
खता किसकी !

ज़रा समझो 
तब दशा अपनी
अब समझो !  

डॉ. लाल रत्नाकर

सवाल कैसा किससे करना है पहले जानो !



सवाल कैसा 
किससे करना है 
पहले जानो !

बवाल कैसा 
किससे करना है 
पहले कहाँ !

सुधारने को 
उनको जो बिगणा 
अपने आप !

जिसका बाप 
बन गया है भक्त 
पहले उन्हें !

समय साथ 
लगाओ अब हाथ 
उनको आप !

डॉ. लाल रत्नाकर

संविधान को धता बताकर वो मनुवाद से।

 

संविधान को 
धता बताकर वो
मनुवाद से।

देश चलाता 
जुमले भी सुनाता
बहकाता है।

बाबा साहब 
इनको जानते थे 
तभी उन्होंने। 

संविधान में 
दी है व्यवस्था सारी
चालाकी पर। 

नहीं मानती 
बहुजन जनता 
संविधान को। 

-डॉ लाल रत्नाकर

बुधवार, 16 अप्रैल 2025

गुलामी जानो बहुजनों दलितों प्रतिनिधियों।




गुलामी जानो
बहुजनों दलितों 
प्रतिनिधियों।

बाबा साहब 
अधिकार दे गए 
हक के लिए।

हक कहां है 
कभी विचार किया 
मनुवाद में।
 
संविधान के 
साथ हो या खिलाफ 
मनुस्मृति के।

बुद्ध कबीर 
जगा गये है तुम्हें 
फिर सो गए। 

नफरत में 
उनके घूम रहे 
संघर्ष किया।

डॉ लाल रत्नाकर