शुक्रवार, 6 जून 2025

इबादत है तमाम संघर्ष के कद्रदानों से।



इबादत है 
तमाम संघर्ष के
कद्रदानों से।

नसीहत है 
सांप की तरह जो 
आस्तीन धरे।

बुद्धिमानों की 
मंडली में हाजिरी 
जरूरी नहीं। 

मजबूरी हो
जरूरी नहीं दोस्ती 
दोस्ती के मध्य।

दुश्मनी ना हो 
यह अच्छी बात है 
कितना बुरा।

-डॉ लाल रत्नाकर

मजमून भी तुम्हारा ही था अब उतर गया।


 
मजमून भी
तुम्हारा ही था अब 
उतर गया।

सवाल जो थे 
जवाब उनका है 
उनके पास।

मानो ना मानो 
जानो तुम्हारी मर्जी 
कर दिया है।

जो करना था 
उसके हिसाब से
वो नहीं किया।

तोड़ मरोड़ 
मेरा स्वभाव जानो
जिद ना कर।

डॉ लाल रत्नाकर

गुरुवार, 5 जून 2025

संघी, कांग्रेसी सपा, बसपा, जद सबका साथ।


संघी, कांग्रेसी
सपा, बसपा, जद
सबका साथ।

कम्युनिस्टों की 
संघ में है क्या ठाट
गिरोह सब।

निरपेक्षता
इनके लिए नहीं 
है उपदेश।

गठजोड़ का
काम निकालना है
जो अभिप्राय ।

धन दौलत 
आती रहे हो जाये 
अन्याय भले।

- डॉ लाल रत्नाकर

गुरुवार, 29 मई 2025

नफरत से सराबोर है वह खरीद पर।

 


नफरत से
सराबोर है वह
खरीद पर।

पता नहीं है 
न उनको न उन्हें 
जो बिक गए।

सवाल मेरा
जिन्हें अच्छा लगता 
जवाब नहीं।
 
उनके पास
जो विचार हैं वह 
किसके लिए। 

कौन बताए
हालात अपना ही 
जब उसका। 

डॉ लाल रत्नाकर 



रंग बाजार कैसा व्यवहार है आज सवाल।



रंग बाजार 
कैसा व्यवहार है 
आज सवाल।

कैसा कमाल
सिंदूर का सवाल 
कहां से आया।

आतंकी कहां
कौन कौन आया था
किसको पता।

व्यावसायिक 
कारोबार किसका
किसके लिए।

रोजगार का
जुमला बेच रहा
लाशों के तले।


-डॉ लाल रत्नाकर

बुधवार, 28 मई 2025

1. ये देश मेरा , 2.संविधान को , 3.प्रगति का हो

1

 ये देश मेरा 
सपनों से प्यारा है 
 देश अपना। 

हिंदू मुस्लिम 
सिख इसाई बौद्ध 
है भाई भाई। 

पाखंडियों की 
धूर्त फौज कहां से 
मन को भाई‌।

तू चली कहां 
अपने यार गली 
खुशी से चली। 

छोड़ यहां का 
भरम भाव सब 
अपना मन। 

-डॉ लाल रत्नाकर

2.


संविधान को 
धता बताकर वो
मनुवाद से।

देश चलाता 
जुमले भी सुनाता
बहकाता है।

बाबा साहब 
इनको जानते थे 
तभी उन्होंने। 

संविधान में 
दी है व्यवस्था सारी
चालाकी पर। 

नहीं मानती 
बहुजन जनता 
संविधान को। 

-डॉ लाल रत्नाकर


3.
प्रगति का हो
प्रतिमान उनका
मनोरंजन।

व्यक्ति कितना 
ही भला हो सकता 
पहले जान।

भगवान भी
मिल जाए तुमको 
यदि कहीं पे।

लो परीक्षण 
संतवत संज्ञान 
जान उनका।

मनका ना हो 
विचलन कहीं से 
सच जान लो।

-डॉ लाल रत्नाकर

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मंगलवार, 27 मई 2025

तुम्हें भी पकड़ेंगे

 




उन्हें पकड़ा 
तुम्हें भी पकड़ेंगे 
इंतजार है।

समय कैसा 
अंधाधुंध अंधेरा
नजर आया। 

जिन्हें नजारे 
दिखाई दे रहे हैं 
बरबादी में।

जनगणना 
अनुपात उसका 
किसको पता।

गिनती होगी 
क्या ईमानदारी से 
बताओ जरा!
 

-डा.लाल रत्नाकर
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शुद्ध सिंदूर

 


सिंदूर शुद्ध 
अशुद्ध विचार था
रक्त सिंदूर।

जगह नहीं 
बची कहीं इज्जत  
है क्या अपनी।

ऐसा कहना
कितना है जायज 
इस दौर में।

यह मुद्दा है
कितना जायज या
नाजायज तो।

अब करना 
बकवास विषय 
निकल गया।

-डॉ लाल रत्नाकर
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गुरुवार, 8 मई 2025

अब हो गया। आंखें फोड़कर जो समाज अंधा।



अब हो गया
आंखें फोड़कर जो
समाज अंधा।

वो कल तक 
निगहबां होता था
हिफाजत का।

क्रूर ठगों ने
घेरकर हौसला 
जिसका तोड़ा।

भरोसा किया 
जिसका धोखाधड़ी 
कर के ठगा।

सच या सत्य 
जीत कर ठगी से
कहां जीता है ।

- डॉ लाल रत्नाकर

बुधवार, 7 मई 2025

बंद कराओ अपराध यहाँ पे कुछ कहना !


बंद कराओ  
अपराध यहाँ पे 
कुछ कहना !

चुप रहना 
जब आज यहाँ पे 
सच कहना !

अपराध यहाँ 
तब वह सब है
भाये उसको  !

मौत जंग की 
पहली ही शर्त है 
जीत सको तो !

हार हार है 
देश की सुरक्षा में 
हारता कौन !

-रत्नाकर