रविवार, 10 अक्तूबर 2010

उत्साह की उम्मीद

डॉ.लाल रत्नाकर

ये देश मेरा 
उनका या सबका 
मुर्दे का नहीं.          


जरुरत है 
अधिकारों को जानो 
हड़पो मत .


हड़पने की 
आदत ने किया है 
सत्यानाश ही.


पर जाहिल 
को जहालियत से                 
बचाए कौन.


निराशा से न 
बनती  है हमारी
सेहत कभी .


सेहत बनी 
उत्साह की उम्मीद
के ही चलते .
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इस तरह सताया है, परेशान किया है
गोया कि मुहब्बत नहीं एहसान किया है .
- अफजल फिरदौस

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हमको तो गर्दिश-ए-हालात पे रोना आया 
रोने वाले तुझे किस बात पे रोना आया 
- सैफुद्दीन सैफ

  

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