रविवार, 10 अक्तूबर 2010

उत्साह की उम्मीद

डॉ.लाल रत्नाकर

ये देश मेरा 
उनका या सबका 
मुर्दे का नहीं.          


जरुरत है 
अधिकारों को जानो 
हड़पो मत .


हड़पने की 
आदत ने किया है 
सत्यानाश ही.


पर जाहिल 
को जहालियत से                 
बचाए कौन.


निराशा से न 
बनती  है हमारी
सेहत कभी .


सेहत बनी 
उत्साह की उम्मीद
के ही चलते .
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इस तरह सताया है, परेशान किया है
गोया कि मुहब्बत नहीं एहसान किया है .
- अफजल फिरदौस

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हमको तो गर्दिश-ए-हालात पे रोना आया 
रोने वाले तुझे किस बात पे रोना आया 
- सैफुद्दीन सैफ

  

रविवार, 3 अक्तूबर 2010

कामनवेल्थ .

डॉ.लाल रत्नाकर

सुबह ५ पै
टीवी खोला चैनल 
आस्था लगाया .

बाबा जी बोल 
रहे थे खेलों पर 
कामनवेल्थ .

गुलाम देश 
खेलेंगे खेल कैसा 
रानी की लूट.

जिमने और 
जीभर जिमाने की 
७० हज़ार .

कारोनों लूटो 
महारानी के गाओ
गीत खेल में .

गुलाम बनो 
लूटो देश और वो 
दौलत जिसे .

शिक्षा बढ़ाते 
विश्वविद्यालय में 
लगाते पर .


कलमाड़ी के 
कारनामें महान 
देश वासियों .

देश वासियों 
करो गुमान वह
रानी नहीं है .

महारानी की 
तरह देश पर 
वह काबिज .

राष्ट्रभक्तों की 
कहानी समझ से 
बहुत दूर .

ई अनहोनी 
घटना होगी यदि 
खेल खेल में .