साथी साथ में
है अपनी घात में
दुश्मन जैसा |
पत्थर नहीं
देवता है उनके
पूजते जो है |
जिनके लिए
जीना था एक उम्र
वे नहीं रहे |
जिनका मन
जीवन से उबा है
दानव जैसे |
उनकी शादी
के पचास फागुन
लड़ते बीते |
यौवन तब
सब घेरे रहते
कौन पूछता |