सोमवार, 24 जनवरी 2011

रविवार, 23 जनवरी 2011

अपराधों की गठरी बांधे !



डॉ.लाल रत्नाकर

आज हमारे
और तुम्हारे पास
कौन कौन हैं !

कल जो थे ओ
कहाँ गए उनका

अता पता है !

पता बताना
मुमकिन था
नहीं बताया  !

मालूम है क्या
क्या क्या उसको
कौन बताये !

वह तो मूक
बना बैठा है पर
कौन जगाये !

अपराधों की
गठरी बांधे बैठा
बैठक बांधे !