डॉ.लाल रत्नाकर
यह आदमी आदमी जैसा नहीं
साहब होगा.
इसका हाल
बदहाल नहीं तो
बेहूदा जैसा .
नहीं नहीं है
यह बदमाश सा
कोई साहब.
कौन साहब
ऐसा साहब तेरा
नहीं सबका.
कैसे किसका
नहीं भ्रष्टाचारी है
ये अपराधी .
कैसे किसका
साहब है यह बे
बेहूदा साब
प्रिंसिपल सा
प्रिंसिपल साहब
जी यही साब .