शनिवार, 25 जून 2011

सब्र इतना

डॉ.लाल रत्नाकर 

न जाने कब 
आएगा वह दिन 
भरेगा पेट .

उद्यमियों का     
कारोबार चलेगा 
तिकड़म से 

यह मत लें 
वह मत लें नहीं 
उत्पाद कैसे  

होगा साथियों 
सब्र फैक्ट्रियां भला 
कैसे करेंगी 

क्योंकि आदमी 
को सब्र नहीं होता 
जो मशीनें हैं 

उन्हें कैसे हो 
भला इस दौर में
सब्र इतना 

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