शुक्रवार, 25 दिसंबर 2015

पतनी जैसी

हमारे हाल 
जानकर करोगे 
उपहास ही 
**************
चमन कैसा 
जहाँ बियाबान हो 
मरघट सा 
**************
वतन ऐसा  
जहाँ सम्मान भी हो 
अपमान सा 
**************
मित्र कैसा हो 
जिसकी पत्नियां हों 
पतनी जैसी 
**************
घर भी तो हो 
बागबान के समां 
शहर में भी 



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें