डॉ.लाल रत्नाकर
ढिबरी जला
किताबें उठा कर
पढाई की है
कहानी सुना
दादी माँ ने आदमी
बना दिया है
उनसे पूछो
तरक्की क्या होती है
चापलूसी से
इधर आना
तुम्हारा हंस कर
लगा सुहाना
देर कर न
जमाये बैठे है वे
महफ़िल जो
आज हमारा
काम हो गया उल्टा
उनके साथ
बारात घर
सगाई की रात में
जलता रहा
उम्र भर की
कसमे खाकर मै
बधा हुआ हूँ
जितने पल
तुमसे दूर हुआ
जलता रहा
चले आयोगे
यह उम्मीद हमें
तब भी न थी
उसने किया
करार हमसे भी
धोखा ही दिया
वो करते थे
गुलामो की रक्षा
अहंकारी थे
टुकडे पर
जीने वालों की जात
न पूछो साथी
आज यहाँ के आदमी को आदमी ही खा रहा है
डॉ.लाल रत्नाकर
आज यहाँ के
आदमी को आदमी
ही खा रहा है
जय प्रकाश
का कातिल दानव
मानव कैसे
मानवता के
हत्यारे ठेकेदारों
दया कहाँ है
राजनीति के
मक्कारों की हालत
हत्यारों की सी
जहाँ निक्कमे
नक्कारे तैनात रहें
वहाँ सु रक्षा
खाने के दाने
लेप दिया जहर
तुरंतो खाना
किसने झेला
शहर का कहर
हंस हंस के
मरना मेरा
सत्यार्थ के खातिर
यूँ कब तक
लड़ रहा हूँ
जड़वत ज़माने
से हिम्मत से
आज नहीं तो
कल आना ही होगा
सामने तुम्हे
छुप छुप के
तीर भी चलाने से
कौन मरता
ज़माने और
कई ज़माने तुम्हे
निगल लेंगे
------------डॉ.लाल रत्नाकर
मुह छुपाने वालों
नज़र भी है
शर्माने वालों
बेशर्मो के कर्मों से
झाँकों अंदर
अधर तुम्ही
धराधर भी तू ही
हो बाज़ीगर
कमी ने उसे
बे आबरू बनाया
बचाए कैसे
बचाए है जो
लुटाये कैसे उसे
जो ज्ञानी है
लूट के बचे
उनको लूटे जो थे
उन्हें बचाए
चोर उचक्के
चिल्लाते है न्याय
नहीं मिलता
घुशखोर भी
फुला के छाती खड़ा
इमानदारों
कविता कह
परिवर्तन करना
गए ज़माने
बहस और
लड़े मूढ़ से कैसे
बौद्धिकता से
परिवर्तन के
अहंकार से खड़ा
अकर्मण्य
जब जब मै
मिला उसे वाचाल
नहीं था तब
आग लगाये
चले गए उनके
सब के सब
बचा था कोई
क्या जब लुटा था
मुग़लों द्वारा
इज्जत क्या
तब बची थी तेरी
लूट मची थी
शातिर वह
वह नहीं उसका
येसा कुल है
जिल्लत उठा
उफ़ न कर जरा
पराये यहाँ
मुकाबला भी
उनसे भला कैसा
बेशरम है
जहमत से
जद्दोजेहद से भी
नहीं समझा
माकूल सा था
सब कुछ उनके
जो लुटेरे थे
हवा थी तब
सुहानी और वह
साथ भी तो था
हाइकु -
डॉ.लाल रत्नाकर
समझा तुने
उसके गुनाहों क़ा
हस्र क्या है
हसरतें थी
भला काम करता
चोरी क्यों की
नजर लगी
तेरी महारत पे
उन सबकी
खुबसूरत थी
जब देखा था मैं
वह जमीन
इमान और
लिहाज़ रहा होगा
बेईमान था
जरुर होगा
यहाँ पर इंसाफ
पर देरी से
कमल देखा
खुदा बनाते थे जो
खुदी बने है
अमल देखा
नहीं करते थे जो
नाचने लगे
करम देखा
हरामी होकर भी
नचाता उसे
जिसे उसने
चुना है जानकर
इंसाफ बंदा
तमाशा नहीं
जो कर रहा होगा
उनको डंडा
सुना आपने
गला रेता वही जो
हार डाला था
जमी उसने
नहीं बेचा खरीदा
था जिसकी थी
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