शुक्रवार, 12 मार्च 2010

यूँ ही ठीक हो

उनका नहीं
दोषी वो है जिनकी
मदद की है

सजा देने से
मुजरिम तरपे
सच्चाई नहीं

इन्सान बनो
बेईमान हो तुम
तुम्हारा सच

घबराकर
किसे डराते, खुद
छुप जाते हो

समय कहाँ
सच - सच बोलना
भला होने का

भला बनकर
क्या करोगे तुम तो
यूँ  ही ठीक हो

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