सोमवार, 25 अगस्त 2025

न समय हैं और न ही विषय बातचीत का !


 न समय हैं
और न ही विषय 
बातचीत का  !

अपने ही हैं
इतने सारे सपने 
तारे तोड़ना !

नहीं जोड़ना 
अब किसी गॉठ को 
पड़ी है कैसे ?

नहीं सोचना
पतन पुराण पर
इस युग में !

हठधर्मी हूँ 
गठबंधन मेरा
पाखंडी से है !

डॉ लाल रत्नाकर

रविवार, 24 अगस्त 2025

तुम कौन हो मेरा नाम बताओ काटा ही क्यों है ।


तुम कौन हो 
मेरा नाम बताओ 
काटा ही क्यों है ।

झूठे मक्कार
कायर तड़ीपार 
तुम कौन हो !

बाबा साहब 
जानते थे चरित्र 
तुम्हारा कुल !

इसलिए ही
लिखा है संविधान 
नहीं मानते ?

मनुवादियों
दिल पर पत्थर 
रख मानो न !

डॉ लाल रत्नाकर

गधे नहीं है घोड़े हैं दिखते हैं गधे समान !

 


गधे नहीं है 
घोड़े हैं दिखते हैं 
गधे समान !

तस्वीर शौक 
नक़ली सूरत है 
समझदार !

दुनिया भर
में घूमा हुआ हूँ मैं 
चोरी करके ।

वोट की नहीं
नोट की भी कितनी 
गिनती नहीं !

भ्रम उनका
श्रम मेरा कितना 
किसको पता ?

डॉ लाल रत्नाकर

अभिमान ना सम्मान बहुत हो इंसान वही ।


अभिमान ना
सम्मान बहुत हो
इंसान वही ।

जग ख़ाली है
समय बवाली है
अज्ञान पूर्ण ।

वह विगत 
वर्तमान जिनका
महान सदा ।

संस्कार मिला
सम्पदा असली है
बाक़ी नकली ।

आशीर्वाद है 
जिनका सानिध्य  ही
पहचान हो !

डा.लाल रत्नाकर

शनिवार, 23 अगस्त 2025

मुझे कहना चोर मत कहना तड़ीपार हूँ।


(1)
मुझे कहना 
चोर मत कहना  
तड़ीपार हूँ। 
(2)
संसद में ही 
तड़ीपार बोलना 
वाजिब कैसे !
(3)
नहीं बोलना 
सच को सच अब 
झूठे हैं यहाँ !
(4)
किस ब्रांड की 
वाशिंग मशीन है 
बीजेपी घर !
(5)
जो धो देती है 
भ्रष्टाचार के पाप 
अंदर आते !

-डॉ लाल रत्नाकर

मन महके जग जड़ता भूत आलिंगन से ।



मन महके
जग जड़ता भूत
आलिंगन से ।

परिभाषित
करते अनुचित
विचार अब।

कारागार में
जन्मदिन मनाने
कौन गया था।

किसके साथ
दुनिया चली आई
दर्शनार्थियों!

शातिर लोग
बहुत सी चालाकी
बरतते हैं !

डॉ लाल रत्नाकर

बुधवार, 6 अगस्त 2025

वक़्त के संग रंग बदल रहा जिन जिन का!

 मुझे लगता है कि जिन लोगों ने या जिसने इस विधा का आविष्कार किया होगा वह बहुत ही तार्किक और प्रासंगिक रहा होगा और उसके समय में भी बहुत-बहुत भयावह परिस्थितियां रही होगी कम शब्दों के माध्यम से गंभीर बात कह देना आमतौर पर जो बड़े-बड़े भाषणों से संभव नहीं होता। 

वह विधा है हाईकू गौर फरमाइए-


वक़्त के संग
रंग बदल रहा 
जिन जिन का!

चेतावनी दी
विदक गया वह
नफरती जो।

कौन लाया है 
पता चल गया ना 
कारण है जो।

आम आदमी 
हिम्मत ना करेगा 
बगावत का!

खास आदमी 
वाहियात तकाजा 
झेल रहा हो !

-डॉ लाल रत्नाकर

बुधवार, 23 जुलाई 2025

बुरे दौर में, झूठ बोलने वाले, कौन कौन हैं?


बुरे दौर में 
झूठ बोलने वाले 
कौन कौन हैं?

कुछ लोगों ने 
किया होगा बिलाप 
कौन है वह?

पहचान के 
कोई प्रतिमान है 
संविधान में?

मनुस्मृति में 
तो लिखा है बहुत 
अमानवीय !

कौन पढ़ेगा 
यह किसने रचा
किसके लिए?

- डॉ लाल रत्नाकर

सोमवार, 21 जुलाई 2025

गगन धरा रह गया है यहां सब विनशा।


गगन धरा
रह गया है यहां
सब विनशा।


काल लाल हो
जंग किससे तेरी
तय हो चुका!


अब हमारे
तुम्हारे लिए कुछ
जरूरी नहीं।


यह मुकाम
पा लिया है उसने
मुश्किल तेरा।


-डॉ लाल रत्नाकर

शनिवार, 19 जुलाई 2025

तेरे राज्य में


 

तेरे राज्य में
कौन सुरक्षित है
बताओ जरा  !

तुम्हारे साथी
जो जो अपराधी हैं 
उनके सिवा !

बहुत सारे 
अपराधी बैठे हैं 
तुम्हारे यहाँ !

कल तक तो 
तुम्हारे बयानों में 
जो जो आते थे !

वह लुटेरे
जिन्हें तुम पाले हो 
सरकारों में !

-डॉ लाल रत्नाकर 


बुधवार, 25 जून 2025

कौन कहता इतना खुलकर मुंह पर यूं।



 
 
कौन कहता
इतना खुलकर
मुंह पर यूं।
 
समझने में
देर नहीं की होगी
तो‌ उसने भी।
 
यही तो फर्क
महसूस होता है
उनमें तभी।
 
आमतौर पे
आदमी आदमी भी
रह गया क्या। 
 
समझ आता
इतनी रहबरी
तो कैसे होती।
 
डॉ लाल रत्नाकर

बुधवार, 18 जून 2025

सबका साथ उनका विनाश है जो जो साथ हैं !


सबका साथ 
उनका विनाश है 
जो जो साथ हैं !

यदि वह हैं 
दलित पिछड़े या 
अल्पसंख्यक !

किसका साथ 
पूंजीपतियों का या 
आमआदमी !

आत्मनिर्भर 
नाली की गैस जला  
चाय बेचते !

प्रतीक कैसा 
अंधविश्वास का या 
चमत्कार का !

-रत्नाकर

जज साहब सुनो बोल रहे हैं सच या झूठ !

 


जज साहब 
सुनो बोल रहे हैं 
सच या झूठ !

मामला घूस 
अन्याय या न्याय का 
किसको पता !

आज कल का 
अजीबो गरीब है 
हाल या चाल !

वकीलों बता 
ये न्याय का व्यापार 
अब कैसा है !

तब कैसा था 
न्याय की उम्मीद 
आमजन को  !

-रत्नाकर

सोमवार, 16 जून 2025

वह लड़की साहसी और तेज़ समझदार !



वह लड़की 
साहसी और तेज़
समझदार !

अभी वह है 
उधेड़बुन फसी 
भविष्य कहाँ !

ढूढ़ रही है 
उज्जवल भविष्य 
प्रगति मार्ग !

लेकिन कहाँ 
सहज है भविष्य 
इस समय !

जातिवाद का 
वर्ण वर्ग धर्म का       
हथियार हो !  

- डॉ लाल रत्नाकर                                                                                                                                                                                                                                                     

रविवार, 15 जून 2025

दुनिया भर अपमान सहना आसान नहीं।

 



दुनिया भर
अपमान सहना 
आसान नहीं।

क्या लाया लाला
किसका सिंदूर यहां
विधवाओं को।

तुम्हें बताएं
तेरा सच सच है
कौन बताए।

तुमने रचा
हत्या कर कराके
चुनाव हेतु।

अभियान से
तो एसा ही लगता 
सबने जाना।

- डॉ लाल रत्नाकर

समय साथ आस पास जिसके गुजारता हो।

 


समय साथ 
आस पास जिसके 
गुजारता हो।

वह करीब 
कितना गरीब है 
पता चलता। 

नसीब मेरा 
करीब उसके था
यदि जानता।

समय मिला
तब कर गुजरा 
काम तमाम।

बहुत दूर 
निकल जाना जब 
करीब आना।

-रत्नाकर

शनिवार, 14 जून 2025

समय बोल सच सच के बोल निडर बन।

 

समय बोल 
सच सच के बोल 
निडर बन। 

खड़ा रहता 
सूखा हुआ वृक्ष भी
आंधियों तक।

डगमग में 
हंसी होगी जग में 
संभलकर। 

उड़ाना मत 
अपनी ताकत को
चमत्कार में।

अंधविश्वास
पाखंड मत कर
डरकर भी।

-डॉ लाल रत्नाकर

समय साथ आस पास जिसके गुजारता हो।



समय साथ 
आस पास जिसके 
गुजारता हो।

वह करीब 
कितना गरीब है 
पता चलता। 

नसीब मेरा 
करीब उसके था
यदि जानता।

समय मिला
तब कर गुजरा 
काम तमाम।

बहुत दूर 
निकल जाना जब 
करीब आना।

-रत्नाकर

कोई भक्त हो समझ में आता है धूर्त नहीं हो।

 


कोई भक्त हो
समझ में आता है 
धूर्त नहीं हो।

संभव नहीं 
असंभव काम है
उसको नहीं।

जोड़ गांठ भी
कर सकता वह
अपने हित ।

दुनिया भर 
अपयश गठरी 
ढोता जाता है।

कभी किसी को 
चोर उचक्का बोले
सोने से तोले।

-रत्नाकर

मंगलवार, 10 जून 2025

विरसा मुंडा नमन आपको सदा संघर्ष मूर्ति ।



विरसा मुंडा 
नमन आपको सदा 
संघर्ष मूर्ति ।

जागो जागो वे
सोए हुए वंशज 
संघर्ष करो। 

वह साहस 
कैसे मर गया है 
भीतर तेरे।

यह दिन है 
यादगार का ताज 
उसे पहनो।

समय नहीं 
होता कोई संघर्ष 
आरंभ करो। 

-विनम्र श्रद्धांजलि, सादर नमन 
- डॉ लाल रत्नाकर
 

भामाशाह है तानाशाह तो नहीं तानाशाह है।



भामाशाह है 
तानाशाह तो नहीं 
तानाशाह है।

कौन कहता 
अब ऐसा नहीं है 
मानो न मानो।

तानाशाह है 
तानाशाही करेगा
डरेगा लोक।

तुम डरोगे
कौन कह रहा है 
तानाशाह से।

मरोगे तुम 
संविधान मारेगा 
तानाशाह को।

-डॉ लाल रत्नाकर
 

शुक्रवार, 6 जून 2025

इबादत है तमाम संघर्ष के कद्रदानों से।



इबादत है 
तमाम संघर्ष के
कद्रदानों से।

नसीहत है 
सांप की तरह जो 
आस्तीन धरे।

बुद्धिमानों की 
मंडली में हाजिरी 
जरूरी नहीं। 

मजबूरी हो
जरूरी नहीं दोस्ती 
दोस्ती के मध्य।

दुश्मनी ना हो 
यह अच्छी बात है 
कितना बुरा।

-डॉ लाल रत्नाकर

मजमून भी तुम्हारा ही था अब उतर गया।


 
मजमून भी
तुम्हारा ही था अब 
उतर गया।

सवाल जो थे 
जवाब उनका है 
उनके पास।

मानो ना मानो 
जानो तुम्हारी मर्जी 
कर दिया है।

जो करना था 
उसके हिसाब से
वो नहीं किया।

तोड़ मरोड़ 
मेरा स्वभाव जानो
जिद ना कर।

डॉ लाल रत्नाकर

गुरुवार, 5 जून 2025

संघी, कांग्रेसी सपा, बसपा, जद सबका साथ।


संघी, कांग्रेसी
सपा, बसपा, जद
सबका साथ।

कम्युनिस्टों की 
संघ में है क्या ठाट
गिरोह सब।

निरपेक्षता
इनके लिए नहीं 
है उपदेश।

गठजोड़ का
काम निकालना है
जो अभिप्राय ।

धन दौलत 
आती रहे हो जाये 
अन्याय भले।

- डॉ लाल रत्नाकर

गुरुवार, 29 मई 2025

नफरत से सराबोर है वह खरीद पर।

 


नफरत से
सराबोर है वह
खरीद पर।

पता नहीं है 
न उनको न उन्हें 
जो बिक गए।

सवाल मेरा
जिन्हें अच्छा लगता 
जवाब नहीं।
 
उनके पास
जो विचार हैं वह 
किसके लिए। 

कौन बताए
हालात अपना ही 
जब उसका। 

डॉ लाल रत्नाकर 



रंग बाजार कैसा व्यवहार है आज सवाल।



रंग बाजार 
कैसा व्यवहार है 
आज सवाल।

कैसा कमाल
सिंदूर का सवाल 
कहां से आया।

आतंकी कहां
कौन कौन आया था
किसको पता।

व्यावसायिक 
कारोबार किसका
किसके लिए।

रोजगार का
जुमला बेच रहा
लाशों के तले।


-डॉ लाल रत्नाकर

बुधवार, 28 मई 2025

1. ये देश मेरा , 2.संविधान को , 3.प्रगति का हो

1

 ये देश मेरा 
सपनों से प्यारा है 
 देश अपना। 

हिंदू मुस्लिम 
सिख इसाई बौद्ध 
है भाई भाई। 

पाखंडियों की 
धूर्त फौज कहां से 
मन को भाई‌।

तू चली कहां 
अपने यार गली 
खुशी से चली। 

छोड़ यहां का 
भरम भाव सब 
अपना मन। 

-डॉ लाल रत्नाकर

2.


संविधान को 
धता बताकर वो
मनुवाद से।

देश चलाता 
जुमले भी सुनाता
बहकाता है।

बाबा साहब 
इनको जानते थे 
तभी उन्होंने। 

संविधान में 
दी है व्यवस्था सारी
चालाकी पर। 

नहीं मानती 
बहुजन जनता 
संविधान को। 

-डॉ लाल रत्नाकर


3.
प्रगति का हो
प्रतिमान उनका
मनोरंजन।

व्यक्ति कितना 
ही भला हो सकता 
पहले जान।

भगवान भी
मिल जाए तुमको 
यदि कहीं पे।

लो परीक्षण 
संतवत संज्ञान 
जान उनका।

मनका ना हो 
विचलन कहीं से 
सच जान लो।

-डॉ लाल रत्नाकर

.

मंगलवार, 27 मई 2025

तुम्हें भी पकड़ेंगे

 




उन्हें पकड़ा 
तुम्हें भी पकड़ेंगे 
इंतजार है।

समय कैसा 
अंधाधुंध अंधेरा
नजर आया। 

जिन्हें नजारे 
दिखाई दे रहे हैं 
बरबादी में।

जनगणना 
अनुपात उसका 
किसको पता।

गिनती होगी 
क्या ईमानदारी से 
बताओ जरा!
 

-डा.लाल रत्नाकर
.

शुद्ध सिंदूर

 


सिंदूर शुद्ध 
अशुद्ध विचार था
रक्त सिंदूर।

जगह नहीं 
बची कहीं इज्जत  
है क्या अपनी।

ऐसा कहना
कितना है जायज 
इस दौर में।

यह मुद्दा है
कितना जायज या
नाजायज तो।

अब करना 
बकवास विषय 
निकल गया।

-डॉ लाल रत्नाकर
.

गुरुवार, 8 मई 2025

अब हो गया। आंखें फोड़कर जो समाज अंधा।



अब हो गया
आंखें फोड़कर जो
समाज अंधा।

वो कल तक 
निगहबां होता था
हिफाजत का।

क्रूर ठगों ने
घेरकर हौसला 
जिसका तोड़ा।

भरोसा किया 
जिसका धोखाधड़ी 
कर के ठगा।

सच या सत्य 
जीत कर ठगी से
कहां जीता है ।

- डॉ लाल रत्नाकर

बुधवार, 7 मई 2025

बंद कराओ अपराध यहाँ पे कुछ कहना !


बंद कराओ  
अपराध यहाँ पे 
कुछ कहना !

चुप रहना 
जब आज यहाँ पे 
सच कहना !

अपराध यहाँ 
तब वह सब है
भाये उसको  !

मौत जंग की 
पहली ही शर्त है 
जीत सको तो !

हार हार है 
देश की सुरक्षा में 
हारता कौन !

-रत्नाकर 

हमला कर क्या यह मैसेज है जनमत का।


हमला कर 
क्या यह मैसेज है 
जनमत का।

जनमत को
सहमत करना
चाल रही है।

हत्या करना
नहीं भरोसा अब
सत्ताधीशों का।

आम आदमी 
खुश हो ही जाएगा
देशभक्ति पे।

नहीं पता है 
हत्या किसकी होगी 
चाल रही है। 

-रत्नाकर 

सोमवार, 5 मई 2025

फूले महात्मा ऐसे ही नहीं हुए सत्य के साथ।


फूले महात्मा 
ऐसे ही नहीं हुए
सत्य के साथ।

आज जरूरी
उतनी ही उनकी
विचारधारा!

नफरत के
इस दौर में वह
जरूरत है।

पाखंड और 
अंधविश्वास हमें 
हमारी पीढ़ी!

सत्य शोधक 
बचा लेगा भीड़  को
भाग रही जो।

डॉ लाल रत्नाकर


गुरुवार, 24 अप्रैल 2025

दंगा कराना नफ़रत भरना जिसका काम !

दंगा कराना
नफ़रत भरना 
जिसका काम !

करता राम 
काटता जेब धर्म 
बता कर जो !

अधर्म यंत्र 
ही है जीवन मंत्र 
हजारो साल !

खाता है मुफ्त 
भूखों भक्तों से सदा 
खता किसकी !

ज़रा समझो 
तब दशा अपनी
अब समझो !  

डॉ. लाल रत्नाकर

सवाल कैसा किससे करना है पहले जानो !



सवाल कैसा 
किससे करना है 
पहले जानो !

बवाल कैसा 
किससे करना है 
पहले कहाँ !

सुधारने को 
उनको जो बिगणा 
अपने आप !

जिसका बाप 
बन गया है भक्त 
पहले उन्हें !

समय साथ 
लगाओ अब हाथ 
उनको आप !

डॉ. लाल रत्नाकर

संविधान को धता बताकर वो मनुवाद से।

 

संविधान को 
धता बताकर वो
मनुवाद से।

देश चलाता 
जुमले भी सुनाता
बहकाता है।

बाबा साहब 
इनको जानते थे 
तभी उन्होंने। 

संविधान में 
दी है व्यवस्था सारी
चालाकी पर। 

नहीं मानती 
बहुजन जनता 
संविधान को। 

-डॉ लाल रत्नाकर

बुधवार, 16 अप्रैल 2025

गुलामी जानो बहुजनों दलितों प्रतिनिधियों।




गुलामी जानो
बहुजनों दलितों 
प्रतिनिधियों।

बाबा साहब 
अधिकार दे गए 
हक के लिए।

हक कहां है 
कभी विचार किया 
मनुवाद में।
 
संविधान के 
साथ हो या खिलाफ 
मनुस्मृति के।

बुद्ध कबीर 
जगा गये है तुम्हें 
फिर सो गए। 

नफरत में 
उनके घूम रहे 
संघर्ष किया।

डॉ लाल रत्नाकर


मंगलवार, 8 अप्रैल 2025

तमस पर बहस कैसी होगी जुमले बाजी।


 
तमस पर
बहस कैसी होगी 
जुमले बाजी।

करते जाओ 
कौन रोक रहा है 
विनाश तक।

परोपकार 
शब्द तो अच्छा ही है 
पर किसका। 

वह औरत 
जमीर रखती है 
बताए कौन !

वह चाकर
परास्त करता है
तिकड़म से।

विकल्पहीन
वक्त रौंद रहा है 
प्रतिभाओं को।

वह डरता 
उससे  अब क्यों है 
विकल्प तो है!

-डॉ लाल रत्नाकर 

गुंडा युक्त है सत्ता दल महल विपक्षी दल ।


 
गुंडा युक्त है
सत्ता दल महल
विपक्षी दल ।

बना रहा है 
वह रेत महल
किसके लिए। 

कर विचार 
आज ही समाज की
गति क्या है? 

दोगला रूप 
राजा का जहां जहां 
समाज कैसा।
 
देख जरा तू
वर्तमान का रूप 
कैसी है धूप।

डॉ लाल रत्नाकर



आम आदमी आदमी से अलग खास कैसे हो।

 आम आदमी 
आदमी से अलग 
खास कैसे हो। 

कोई उपाय 
हो तो बताइए जरा
सुलभ हो तो। 

नहीं जानता 
किस खास आदमी 
की तलाश है। 

जो दगाबाज 
निकम्मा उचक्का हो 
मिला दीजिए। 

खुश होएगा 
अपने जैसा पाकर
वह इंसान। 

डॉ लाल रत्नाकर



रविवार, 6 अप्रैल 2025

तेरी नियत पता तो है सबको कितनी साफ़ !

 


तेरी नियत 
पता तो है सबको 
कितनी साफ़ !

अब तक है 
सबकी नज़रों में 
जग जाहिर !

कहते हो क्या 
करते रहो हो क्या 
सब जानते !

किसको बना 
बेवकूफ रहे हो 
हम सबको !

सब पता है 
तुम्हारी नियत से 
हमारे हाल !

- डॉ लाल रत्नाकर

हौसले हो तो हार नहीं होती है मनोबल से !

हौसले हो तो 
हार नहीं होती है 
मनोबल से !

बाहुबली हो 
बल के प्रकार को 
जानते हो क्या !

धैर्यबल ही 
कामयाब कराए 
कामना मेरी !

आत्मबल है 
अगर आप में भी 
कोशिस करो !

प्रतिरोधक 
पर्याप्त हो अगर 
संघर्ष करो !

- डॉ लाल रत्नाकर

शनिवार, 5 अप्रैल 2025

धर्म हमारा तुम्हारे बाप का है बाप से पूछो



धर्म हमारा 
तुम्हारे बाप का है 
बाप से पूछो !

जाती हमारी 
हमारे बाप की है 
तुम्हारा बाप !

श्रम हमारा 
तुम्हारा कैसे क्या है 
हड़पा हुआ !

हमारा हिस्सा 
तुम्हारा कैसे होगा 
क्या बताओगे !

क्या छुपाओगे 
कभी तो निकलेगा 
हक़ हमारा !

डॉ लाल रत्नाकर 

गुरुवार, 3 अप्रैल 2025

वह सुबह कब आएगी बता पता उसका।

 
वह सुबह 
कब आएगी बता
पता उसका।

जब अमन 
पहुंचेगा बस्ती में 
भारतीयों के। 

हर जाति के 
हर धर्म के घर 
सत्य संदेश।

बताये कौन
बुरी खबर वह
कब लाएगा।

काली रात की
सियाह तसबीर 
हटा पाएगा !

-डॉ लाल रत्नाकर

"आमतौर पर आज की व्यवस्था में जिस तरह के लोग आ गए हैं वह निश्चित रूप से हमेशा स्वभाव से गुंडा आचरण रखने वाले लोग हैं। उनसे आप किस तरह के आचरण की उम्मीद करते हैं यह विचारणीय है।
व्यवस्था के मामले में जिस तरह के लोग आगे आए हैं वह निश्चित रूप से अव्यवस्थित लोग हैं।
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सोमवार, 31 मार्च 2025

सीबीआई है, ईडी और आईटी, लेकर आई।


सीबीआई है
ईडी और आईटी 
लेकर आई। 

अफसर हैं
क्या भाजपा ले आई
देखें जनता।

इण्डिया संघ
गठबंधन लेकर
लड़ना होगा।

किससे वह
खड़ा रहेगा वह
अबकी बार।

किसकी पारी
कितनी भारतीय
या है धार्मिक।

-डॉ लाल रत्नाकर

रविवार, 23 मार्च 2025

शहीदी यादें मुश्किल हो जाती हैं दुश्मन घुसा।

 

शहीदी यादें
मुश्किल हो जाती हैं 
दुश्मन घुसा।

प्रेरणादायी
जिनका जीवन है 
हमारे लिए।

याद उनकी 
मत दिला कभी भी
ठगी उसकी।

नहीं समझा 
गौरव खोता गया
अहंकार में।

भक्त हैं यहां 
कर रहे हैं वह
शंखनाद ही।

(2) 

वर्तमान में 
निवर्तमान वह
मौके मौके पे।

तन की बात 
किसकी करता है
रोज रोज ही।

धर पकड़ 
करता कराता है 
सच कहता।

जो नहीं भाता 
जब साथ आ जाता 
खूब भाता है।

अयोग्यता पे
खूब हंसता वह 
अपनी छोड़।

डॉ लाल रत्नाकर